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भगवन ! कैसे दर्शन पाऊँ ?
तीरथ चारो धाम गया मैं , सागर गंग नहाऊँ ।
अर्पण तर्पण पूर्ण समर्पण , कण्ठी कण्ठ सजाऊँ ।
उपक्रम पूजन षटकर्मों सँग , कोटिक सुमन चढ़ाऊँ ।
मन्दिर मस्जिद गिरजाघर में , नित निज शीष नवाऊँ ।
किस विधि ध्याऊँ भाव सुझाओ ? भव- सागर तर जाऊँ ।।
डा. उमेश चन्द्र श्रीवास्तव
लखनऊ