पद- मेरो मन जपै हरि को नाम
ब्रजभाषा पद
16,11 की यति
मेरो मन जपै हरि को नाम।
मोकौ लगन लगी गिरधर से, जपत सदा घनश्याम।।1।।
मानुस तनु पा नर बरभागी, कर मानुस शुभ काम।
यासों नाम जपै दुख भागे, चिंता मिटै तमाम।।2।।
तात मातु की सेवा कर लो, हो जीवन सुखधाम।
जासों जस हौं करमु जगत में, हैं वैसों परिणाम।।3।।
यासों नाम जपो मीरा ने, मुरलीधर घनश्याम।
तासों बसा लिया प्रभु ह्रद में, गिरधर रूप ललाम।।4।।
जपत निरंतर नाम तुम्हारों, कबहुँ कृष्ण कहुँ श्याम।
विनती मोरी सुनौ मुरारी, करता दास प्रणाम।।5।।
अदम्य