पद के दुरूपयोग (हास्य कविता)
पद के दुरूपयोग
(हास्य कविता)
फेर भेटत नहि एहेन सुयोग
अपना स्वार्थ द्वारे कानून बनाऊ-तोरू
मनमर्जी सँ करू ओकर उपयोग
अहाँ करू अपना पद के दुरूपयोग
सत्ताक कुर्सी पर बैसल छि अहाँ
कोनो समस्या देखैत छि कहाँ
मोन मोताबिक सी.बी.आइ के करू उपयोग
अहाँ करू अपना पद के दुरूपयोग !
अरब-खरब घोटाला करू मुदा
दाँत चिआरैत तिहर जेल सँ निकलू
फेर मंत्री पद हथिआउ आ घोटाला करू
सरकारी खजाना सुडाह क बैसू !
सत्ता कुर्सी आ सरकारी धन
जन्मजात अहाँक बपौती छि
अहाँ करू एककर खूब उपयोग
करू अपना पद के दुरूपयोग
मूलभूत समस्याक समाधान किएक करब ?
एही सँ किछु ने होयत ताहि दुआरे
एहने योजना बनाऊ जाही सँ
अहाँ अप्पन जेबी टा भरब
करू अन्याय मुदा बर्दी चमकाऊ
अपनों घुस खाऊ नेताजी के सेहो खुआउ
डरे कियो किछु बाजत कोना
दमनकारी नीति अहाँ अपनाऊ
न्यायक कुर्सी बिका गेल
देशक रक्षक बनी गेल भक्षक
कागजी पन्ना पर आर्थिक योजना
आम आदमीक कष्ट बुजहब कोना
मंत्री छि लालाबती गाड़ी में घूमूं
जनताक खोज खबरि एकदम नहि करू
एक्के बेर आब अगिला इलेक्शन में
भोंट दुआरे जनता के मुहं देखू
दंगा फसाद अहींक इशारा पर
पहिने सँ फिक्स भेल अछि
वोट बैंक पोलिसी के करू उपयोग
अहाँ करू अपना पद के दुरूपयोग !!
लेखक :- किशन कारीगर
( नोट © कॉपीराईट अधिनियम के तहत )