पद की गरिमा
पद की गरिमा
अपनी करतूतों से पीठ फेर कर मस्ती में सोते हैं,
दूसरों की करतूतों का ही हर वक्त रोना रोते हैं।
ऐसे व्यक्तित्व तो चिकने घड़े सरीखे होते हैं,
दूसरों में गिनवाते कमियाँ वो खुद जिनको ढोते हैं।
जन को छोड़ शैतान सेवा में हर वक्त लीन रहना,
यह विनाश की राह है बुजुर्गों का है ऐसा कहना।
सत्ता हथियाना और शैतान सेवा ही ध्यय हो गया,
जनता द्वारा दिया पद पा कर जैसे अजय हो गया।
हर बात पर संदेह होता यह तो उसकी साख हो गयी,
सुशोभित पद की गरिमा उसके कारण राख हो गयी।