पद का मद ( कुंडलिया)
पद का मद ( कुंडलिया)
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पद का मद सबसे बड़ा , खुद को जाता भूल
हवा भरी ज्यों हो गया , गुब्बारे – सा फूल
गुब्बारे – सा फूल , न सीधे मुँह बतियाता
अपनों पर भी धौंस , जमाता है गरियाता
कहते रवि कविराय ,हुआ फिर बौने कद का
पाँच साल के बाद ,छिना फिर जलवा पद का
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मद = घमंड ,अहंकार
गरियाता = अपशब्द कहता
धौंस जमाता = प्रभुत्व स्थापित करता
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451