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10 Jul 2022 · 1 min read

पद का मद ( कुंडलिया)

पद का मद ( कुंडलिया)
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
पद का मद सबसे बड़ा , खुद को जाता भूल
हवा भरी ज्यों हो गया , गुब्बारे – सा फूल
गुब्बारे – सा फूल , न सीधे मुँह बतियाता
अपनों पर भी धौंस , जमाता है गरियाता
कहते रवि कविराय ,हुआ फिर बौने कद का
पाँच साल के बाद ,छिना फिर जलवा पद का
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
मद = घमंड ,अहंकार
गरियाता = अपशब्द कहता
धौंस जमाता = प्रभुत्व स्थापित करता
“””””””””””””””””””””'””””””””””'”””””””””
रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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