पद्मिनी के जौहर की बात न पूछना
हमसे हमारे आज ख्यालात ना पूछना
कहाँ से करेंगे हम शुरुआत ना पूछना
जलते लाहौर पर गांधी को चिंता थी
पर पाक कितना बदजात ना पूछना
हमारी बेटियाँ भी कर देती सर क़लम
पद्मिनी के जौहर की बात ना पूछना
खाली हाथ रहा वो सुल्तान ख़िलजी
कौन जीता किसकी हुई मात ना पूछना
अब हमारा तिरंगा नहीं शरमाये यहाँ पे
जेहादियों के बुरे हुए हालात ना पूछना
बलिदानों का दौर चला तो आगे होंगे
देश जगाने वालो की जात ना पूछना
कितने महजबी दरिंदे हिन्द मे रहते है
कैसे करते है यह वारदात ना पूछना
आक्रोश कितना दिल मे भरा हमारे
धारा 370 वाले यूँ लम्हात ना पूछना
हँसते हँसते जाँ देती पद्मिनी यहाँ पर
हमारी वीरता भरी सौगात ना पूछना
अशोक सपड़ा हमदर्द