पद्मावती पिक्चर के बहाने
देश मेरा क्यों जल रहा, धूं धूं करके आज
भूले सब संवेदना, राजनीति बस काज।
राजपूत की शान को, कहें लगी है ठेस
पद्मावती पर जो बनी, पिक्चर एक विशेष।
कथा अभी देखी नहीं, नहीं विषय का ज्ञान
बस विरोध करना रहा, अल्पज्ञों को ध्यान।
नाक काट देंगे सुनो, अभिनेत्री की आज।
कितनी ऊँची बात यह, कही वाह महाराज!
राजपूत की शान भी हुई कलंकित जान
नारी के अपमान की, सुने बात जब कान।
नारी के सम्मान हित , गए जान पर खेल
ऐसी ओछी बात वे , गए किस तरह झेल?
हमलावर खिलजी रहा, हिंदुस्तानी जाग
तू खुद अपने देश में, फिरे लगाता आग?
स्वार्थ सदा सर्वोपरि , राजनीति उद्देश्य
क्यों भेड़ों के झुंड से, हम चलते असहाय ।
इस से महती बहुत, प्रश्न जल रहे आज
उत्तर देने का कोई, क्यों न करे प्रयास।
पद्मावती को पूजते, तुम उसकी संतान
निसिदिन लुटती नारियाँ, सोते चादर तान ?
या फिर नारी के लिए, बची एक ही राह
जौहर कर ले, जल मरे, चल पद्मावती राह।
विवश हुई रजपूतनी , हमलावर अनजान
अपने घर के खिलजियों, ने लूटी अब आन।
किन्तु प्रश्न यह गौण है, पिक्चर प्रश्न महान
जौहर करती नारियाँ, बढ़ती रहती शान।
मेरा देश महान, सभी करो गुणगान।
डॉ मंजु सिंह गुप्ता