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24 Feb 2021 · 1 min read

पद्धरि छंद ,अरिल्ल छंद , अड़िल्ल छंद

पद्धरि छंद ,अरिल्ल छंद , अड़िल्ल छंद

सरलता–आप अपनी लिखी चौपाई में पदांत विधानुसार करके यह छंद बना सकते है ~

#पद्धरि छंद –
चार चरण, सम मात्रिक छंद,
यति १० – ६ पर या ८ – ८ पर , चरणांत जगण(१२१)
मधु वाणी से भी हो मलाल |
करना होगा तब यह ख़याल ||
यह नर रखता है हृदय दीन |
अपनेपन से है रस विहीन ||
=====सुभाष सिंघई=====

#अरिल्ल छंद –
चार चरण, सम मात्रिक छंद,
चरणान्त में भगण 211 या यगण 122
अ-चरणांत २११
लोभ कपट रहता जब आकर |
दुखिया भी दिखता सब पाकर ||
अहसान न माने वह लेकर |
पछताता रहता‌ सब खोकर ||

ब-चरणांत-१२२
जग चिड़िया है रैन बसेरा |
फिर भी कहता यह सब मेरा ||
माया का रहता जब घेरा |
रहता कुहरा पास घनेरा ||

=======सुभाष सिंघई======

#अड़िल्ल छंद –
चार चरण, सम मात्रिक छंद,
चौपाई जैसा ही, चरणान्त में दो लघु 11 या दो गुरु 22

घर पर दुख डेरा रहता है |
निज साया निज से डरता है ||
सदा डराता दिन उजियारा |
रोता रहता वह जग हारा ||

==सुभाष सिंघई =====

©सुभाष ‌सिंघई
एम•ए• {हिंदी साहित़्य , दर्शन शास्त्र)
(पूर्व) भाषा अनुदेशक , आई•टी •आई • )टीकमगढ़ म०प्र०
निवास -जतारा , जिला टीकमगढ़‌ (म० प्र०)
=========================

आलेख- सरल सहज भाव शब्दों से इन छंदों को समझानें का प्रयास किया है , वर्तनी व कहीं मात्रा दोष हो तो परिमार्जन करके ग्राह करें

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