पदपादाकुलक छंद
🙏मंच को नमन🙏
पदपादाकुलक छंद
मात्रा–16मात्रिक
आरम्भ और अन्त 2 या 11 से अनिवार्य।
सृजन शब्द —चिंतन
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चिंतन शुभ ही जीवन करना।
संकट मानुष नित ही हरना।
मिलजुल सबसे जग में रहना।
शीतल जल सम हिय में बहना।।
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काम करो जो हो हितकारी।
मात पिता के आज्ञाकारी।
नेक भाव तुम मन में लाओ।
दीप ज्ञान के सदा जगाओ।।
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देश प्रेम का भाव बड़ा है।
मानव हित में योग जड़ा है।
एक ही सुर और ताल मिलो।
चिंतन कर सुन्दर फूल खिलो।।
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जीवन दुखमय फिर भी हँसना।
नित नित सुखमय जानो बसना।
चिंतन चिंतक सबके बनना।
शुभ समाज की शोभा गणना।।
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शीला सिंह बिलासपुर हिमाचल प्रदेश 🙏