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17 May 2023 · 1 min read

पथ

मुझे बुलाता है
हंसाता है
रुलाता है
मगर मंजिल तक ले जाता है
मैं सो रहा हूँ या जागा
मगर मंजिल से नहीं भागा
मेरे तन-मन का है जो धागा
मुझे जोड़ कर रखता है
मेरा ईमान मुझे परखता है
नित नए व्यूह जो रचता है
मुझमें ही शायद बसता है
मेरा यही पथ है।

Language: Hindi
1 Like · 449 Views
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