“”””” पथिक””””””
हे पथिक,,,,,,, अकेले है तू आया, अकेले ही है जाना
जिन्दगी के पथ मे है ‘अनेक कर्मों को निभाना
राह मे बाधाएँ आयेगी असंख्य
उन सबसे स्वयं ही तो है तुझको पार पाना
रिश्ते नाते तो है मात्र एक बहाना
उस प्रभु ने ही तो है, मार्ग दर्शाना
राम नाम के धन को ही है जिन्दगी मे कमाना
बाकी सब कुछ तो है मिट्टी मे मिला जाना
मोह, माया, और क्रोध-लोभ से स्वयं को है बचाना
कर दो अर्पण हरि को जीवन, उसकी शरण ही तो हैं जाना
डॉ. कामिनी खुराना (एम.एस., ऑब्स एंड गायनी)