Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 May 2018 · 1 min read

पथिक (बटोही)

पथिक (बटोही )
आगे बढना ध्येय तुम्हारा, रहे सदा जीवन ही गतिमय,
पर्वत,नदी, झाड़, अवरोधक, पार करो तुम हो कर निर्भय,
तुम्हें कहाँ विश्राम “पथिक” हो,”चरैवेति” सिद्धान्त तुम्हारा,
संकल्प शक्ति उत्साहित करते, सबका जीवन ही हो सुखमय l
निष्कंटक हो पन्थ सभी का, हो उपलब्धि सभी को कतिपय,
“महाजनो येन गत: सा पन्था”, शाश्वत सच केवल नहिं संशय,
रुकना नहीं बढो तुम आगे, पा सकते हो अपनी मन्जिल,
रहो प्रदर्शक सदा पन्थ के, केवल यहाँ यही है परिचय l

Language: Hindi
Tag: गीत
246 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कोई मुरव्वत नहीं
कोई मुरव्वत नहीं
Mamta Singh Devaa
अब नये साल में
अब नये साल में
डॉ. शिव लहरी
श्री राम आ गए...!
श्री राम आ गए...!
भवेश
गीत- पिता संतान को ख़ुशियाँ...
गीत- पिता संतान को ख़ुशियाँ...
आर.एस. 'प्रीतम'
अहमियत 🌹🙏
अहमियत 🌹🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
एक   राखी   स्वयं के  लिए
एक राखी स्वयं के लिए
Sonam Puneet Dubey
धिक्कार
धिक्कार
Dr. Mulla Adam Ali
" नम पलकों की कोर "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
"बहुत है"
Dr. Kishan tandon kranti
जब किसी व्यक्ति और महिला के अंदर वासना का भूकम्प आता है तो उ
जब किसी व्यक्ति और महिला के अंदर वासना का भूकम्प आता है तो उ
Rj Anand Prajapati
23/57.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/57.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मुझमें गांव मौजूद है
मुझमें गांव मौजूद है
अरशद रसूल बदायूंनी
उसके पास से उठकर किसी कोने में जा बैठा,
उसके पास से उठकर किसी कोने में जा बैठा,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*पत्रिका समीक्षा*
*पत्रिका समीक्षा*
Ravi Prakash
अगर मध्यस्थता हनुमान (परमार्थी) की हो तो बंदर (बाली)और दनुज
अगर मध्यस्थता हनुमान (परमार्थी) की हो तो बंदर (बाली)और दनुज
Sanjay ' शून्य'
वोट कर!
वोट कर!
Neelam Sharma
मुश्किलों से तो बहुत डर लिए अब ये भी करें,,,,
मुश्किलों से तो बहुत डर लिए अब ये भी करें,,,,
Shweta Soni
मिट्टी के परिधान सब,
मिट्टी के परिधान सब,
sushil sarna
कुछ रातों के घने अँधेरे, सुबह से कहाँ मिल पाते हैं।
कुछ रातों के घने अँधेरे, सुबह से कहाँ मिल पाते हैं।
Manisha Manjari
मजबूरियों से ज़िन्दा रहा,शौक में मारा गया
मजबूरियों से ज़िन्दा रहा,शौक में मारा गया
पूर्वार्थ
चीं-चीं करती गौरैया को, फिर से हमें बुलाना है।
चीं-चीं करती गौरैया को, फिर से हमें बुलाना है।
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
सोच
सोच
Dinesh Kumar Gangwar
*मैं और मेरी चाय*
*मैं और मेरी चाय*
sudhir kumar
वो दौर था ज़माना जब नज़र किरदार पर रखता था।
वो दौर था ज़माना जब नज़र किरदार पर रखता था।
शिव प्रताप लोधी
पानीपुरी (व्यंग्य)
पानीपुरी (व्यंग्य)
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
मेरे दिल मे रहा जुबान पर आया नहीं....!
मेरे दिल मे रहा जुबान पर आया नहीं....!
Deepak Baweja
बाल कविता: मदारी का खेल
बाल कविता: मदारी का खेल
Rajesh Kumar Arjun
वक्त की चोट
वक्त की चोट
Surinder blackpen
" कृष्णक प्रतीक्षा "
DrLakshman Jha Parimal
Loading...