पथिक तुम चलते रहना रे!
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पथिक तुम चलते रहना रे!
रस्ता रोकें विकट हवाएँ।
चारों ओर घोर तम छाए।
मौसम कितना भी भरमाए।
डट के रहना रे!
पथिक तुम चलते रहना रे!
रोकेंगी तुमको पथ-बाधा।
घेरेंगी जीवन की व्याधा।
लेकिन लक्ष्य रखा जो साधा।
बढ़ते रहना रे!
पथिक तुम चलते रहना रे!
भोर-साँझ पथदर्शक तेरे।
गिनना मत जीवन के फेरे।
कितना भी घन-गर्जन घेरे।
सधते रहना रे!
पथिक तुम चलते रहना रे!
कोशिश तेरी कशिश बन जाए।
तू धरती अम्बर पर छाए।
सारा जग तेरा गुण गाए।
इतना फलना रे!
पथिक तुम चलते रहना रे!
“तेज” तेरा दुनियां महकाए।
जन-जन का रक्षक बन जाए।
हरिहर हरपल ही हरषाए।
दीपक सम जलना रे!
पथिक तुम चलते रहना रे!
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?तेज7/5/17✍