पत्र पिता के नाम(दोहे)
पूज्य पिता को लिख रहा, बारहि बार प्रणाम।
कृपा दृष्टि हैं आपकी,देख सका प्रभु धाम।
आप पधारे स्वर्ग में, सौंप हमें शुभ काम।
प्रभु इच्छा पूरण हुआ,जीत गये श्रीराम।
पाँच सौ बर्ष की साधना, सफल हुई इस बार।
मंदिर नव निर्माण से, जीवन का उद्धार।
जन्मों की अभिलाष को, पूर्ण देख कर आज।
याद आपकी आ रही,भूल गया सब लाज।
पत्र आपको भेजता,पढ़े खुशी के साथ।
एक कामना मन बसी, सिर पर हो तव हाथ।।
राजेश कुमार कौरव सुमित्र