पत्र पत्रिकाओं
लेखनी को जगाने वाली,
जन जन तक पहुंचाने वाली|
सजग सचेतन मानवता के
लिए कदम उठाने वाली चेतनाओं|
कोटि कोटि नमन तुम्हें, सभी पत्र
पत्रिकाओं|
बेचैनी होती जब कवि को,
देख देख आधुनिक समाज|
अधुना मानव भूल गया है,
मानवीय मूल्यों को आज|
लेखनी तब कहती है कि धन्यवाद
सुविधाओं |
शब्द साध कर चेतन प्राणी मानवता
को जगाओ|
डा पूनम श्रीवास्तव {वाणी}