Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Oct 2022 · 2 min read

*पत्रिका-समीक्षा*

पत्रिका-समीक्षा
_________________________
पत्रिका का नाम : इंडियन थियोसॉफिस्ट ( सितंबर 2022, खंड 120, अंक 9
संपादक : प्रदीप एच. गोहिल
अनुवादक : श्याम सिंह गौतम
______________________
समीक्षक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
_______________________
इंडियन थियोसॉफिस्ट सितंबर 2022 खंड 120 अंक 9 अपने विचार प्रधान लेखों के लिए महत्वपूर्ण बन गया है।
टिम बॉयड ने सुख और आनंद के सत्य की आपसी खोज शीर्षक से मनुष्य को अपने भीतर निरंतर चलने वाले सुख और दुख के विविध आयामों से परिचित कराया है ।
प्रदीप एच. गोहिल (राष्ट्रीय अध्यक्ष थियोसॉफिकल सोसायटी का भारतीय अनुभाग) ने अपने लेख एक पग आगे में इस विषय को हाथ में लिया है कि शरीर, मन और तर्क-बुद्धि के पार कैसे जाया जाए अर्थात आत्मा को जागृत करके पूर्ण सत्य की प्राप्ति की अवस्था को कैसे प्राप्त किया जाए ? इसके लिए विद्वान लेखक ने बारह महत्वपूर्ण पग निर्धारित किए हैं, जिनमें आत्म नियंत्रण, रुचि-अरुचि, एकांत का महत्व, भोजन की आवश्यकता का न्यूनीकरण, अपनेपन की समाप्ति, नियंत्रित वाणी, सदैव ध्यान में चिंतन करना, अनासक्ति, सब प्रकार से अहंकार शक्ति और दिखावा आदि का परित्याग तथा तत्पश्चात शांति में विचरण करने की अवस्थाओं का संक्षेप में विवरण किया गया है। लेखक ने ठीक ही अपने विचारों का उपसंहार इन शब्दों में किया है कि “यह 12 कदम अभ्यास के वे मार्ग हैं, जो अंतिम अनुभव मुक्ति का साक्षात्कार करवाते हैं।”
पत्रिका का सर्वाधिक रोमांचकारी और एक प्रकार से मौलिक विषय प्रस्तुत करने का कार्य शिखर अग्निहोत्री ने होमिंग का संकेत शीर्षक से अपने लेख में किया है । होमिंग का तात्पर्य पशुओं की एक ऐसी अंतर्प्रज्ञा से है, जिसके माध्यम से वह सुदूर स्थानों पर जा कर छोड़ दिए जाने के बाद भी अपने घर की वापसी कर लेते हैं । लेखक ने इसको इस दृष्टि से महत्व दिया है कि यह होमिंग संकेत क्या हमारे भीतर भी हैं और हम उनके स्पर्श में किस तरह से आएं ? इसी विचार को अनेक संभावनाओं के साथ यात्रा कराते हुए लेखक ने थियोसॉफि के आधार स्तंभ मैडम ब्लैवेट्स्की और डॉक्टर एनी बेसेंट के अनेक प्रेरक विचार अपने कथन के समर्थन में उद्धृत किए हैं। लेख का अभिप्राय एक ऐसी खोज करना है, जिसमें हम प्रकृति के अज्ञात नियमों तथा मानव में अंतर्निहित शक्तियों का अनुसंधान कर सकें । वस्तुतः यही थियोसॉफिकल सोसायटी का मुख्य उद्देश्य भी है।
पत्रिका के अंत में विभिन्न प्रदेशों में थियोसॉफिकल सोसायटी की गतिविधियों पर प्रकाश डाला गया है । अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन की जानकारी भी इसमें दी गई है। पत्रिका का कागज, छपाई और कवर आकर्षक है । बधाई।

Language: Hindi
308 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
बाट तुम्हारी जोहती, कबसे मैं बेचैन।
बाट तुम्हारी जोहती, कबसे मैं बेचैन।
डॉ.सीमा अग्रवाल
*सपोर्ट*
*सपोर्ट*
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
नेता जी
नेता जी
surenderpal vaidya
🙅समझ जाइए🙅
🙅समझ जाइए🙅
*प्रणय*
हैं राम आये अवध  में  पावन  हुआ  यह  देश  है
हैं राम आये अवध में पावन हुआ यह देश है
Anil Mishra Prahari
इंसान अपनी ही आदतों का गुलाम है।
इंसान अपनी ही आदतों का गुलाम है।
Sangeeta Beniwal
"हमारे नेता "
DrLakshman Jha Parimal
2891.*पूर्णिका*
2891.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
फूल अब शबनम चाहते है।
फूल अब शबनम चाहते है।
Taj Mohammad
🤣🤣😂😂😀😀
🤣🤣😂😂😀😀
Dr Archana Gupta
अकेले
अकेले
Dr.Pratibha Prakash
जब टैली, एक्सेल, कोडिंग, या अन्य सॉफ्टवेयर व अन्य कार्य से म
जब टैली, एक्सेल, कोडिंग, या अन्य सॉफ्टवेयर व अन्य कार्य से म
Ravikesh Jha
बांध रखा हूं खुद को,
बांध रखा हूं खुद को,
Shubham Pandey (S P)
बेजुबान और कसाई
बेजुबान और कसाई
मनोज कर्ण
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
शेखर सिंह
समझा दिया
समझा दिया
sushil sarna
राम
राम
Sanjay ' शून्य'
कुछ मन की कोई बात लिख दूँ...!
कुछ मन की कोई बात लिख दूँ...!
Aarti sirsat
अर्थ में,अनर्थ में अंतर बहुत है
अर्थ में,अनर्थ में अंतर बहुत है
Shweta Soni
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*माता हीराबेन (कुंडलिया)*
*माता हीराबेन (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
सब्जी के दाम
सब्जी के दाम
Sushil Pandey
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जिद और जुनून
जिद और जुनून
Dr. Kishan tandon kranti
अमृत मयी गंगा जलधारा
अमृत मयी गंगा जलधारा
Ritu Asooja
मॉर्निंग वॉक
मॉर्निंग वॉक
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
कभी कभी खामोशी भी बहुत सवालों का जवाब होती हे !
कभी कभी खामोशी भी बहुत सवालों का जवाब होती हे !
Ranjeet kumar patre
मैं कौन हूं
मैं कौन हूं
Dr Nisha Agrawal
कहने की कोई बात नहीं है
कहने की कोई बात नहीं है
Suryakant Dwivedi
लोग महापुरुषों एवम् बड़ी हस्तियों के छोटे से विचार को भी काफ
लोग महापुरुषों एवम् बड़ी हस्तियों के छोटे से विचार को भी काफ
Rj Anand Prajapati
Loading...