पत्नी महारानी
******* पत्नी – महारानी (ग़ज़ल) ********
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डरूँ मैं क्यो भला चाहे अगर पत्नी महारानी,
लगे वो खूबसूरत सी परी मेरी महारानी।
मिले ख़ुश्बू बहारों की कतारें हो सितारों की।
मिली कोई नहीं हो जो दिखे जैसी महारानी।
खुले हैं द्वार किस्मत के मिली है आपसी सुंदर,
करूँ सजदा सदा उनका मिली प्यारी महारानी।
बिखेरे खूब फूलों सी महक अपनी सदा आंगन,
कमी कोई न जीवन में रहे खिलती महारानी।
नहीं हैं शब्द मेरे पास कहता यार मनसीरत।
गिला शिक़वा न है कोई खिले महकी महारानी।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)