पत्नी तो है पर पत्नी जैसी है नहीं
वो पत्नी, पत्नी तो है,
पर पत्नी जैसी है नहीं,
और ना कभी वो हो सकती है ।
हर युग जन्म में, ऐसी पत्नी ही,
व्यभिचारिणी कहलाती है ।।
धिक्कार है ऐसी पत्नी पर,
जो अपने पति का इज्ज्त कभी न करती ।
अपने मजबूर पति की अरमानों से,
यहाँ वो जी भरकर है खेलती ।।
सदा ही अपने मन का करती,
पति का कहा कभी न सुनती ।
गर गुस्से में पिट जाये तो,
दो-चार महीने बात न करती ।।
पति जो समझाये तो,
बिल्कुल समझ ना आये ।
दूजा जो समझाये तो,
उससे हँस-हँस के बतियाये ।।
कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 21/05/2019
समय – 07:34 ( रात्रि )
संपर्क – 9065388391