पत्नी के जन्मदिन पर….
मेरा आईना अब मुझे ढूंढता है,
मैं खुद को तेरी आँखों में देखने जो लगा हूँ…
मेरा वक्त अब मुझसे पूछता है,
मैं तेरे वक्त में शामिल जो हो गया हूँ…
मेरे रास्ते अब खफा हो गए मुझसे,
मैं तेरे कदमों के पीछे अपने कदम रखने जो लगा हूँ…
अब मेरी खुशी भी मेरे लबों पर नहीं है,
मैं तेरी हँसी में हर वक्त मुसकुराने जो लगा हूँ…
मेरा नहीं मुझमें कुछ भी बचा है,
तू सागर है मैं बूंद बनकर तुझमें समाने जो लगा हूँ…
अब मेरे सपने मेरे नहीं है,
तेरी खुली आँखों से अपनी आंखें बंद कर देखने जो लगा हूँ…
मेरा दिल मेरे सीने में मिलता नहीं अब,
मैं धड़कन बनकर तेरे सीने में धड़कने जो लगा हूँ…
मैं क्या कहूँ खुद को, मैं हूँ नहीं हूँ,
मैं तेरी खुदायी में ख्याल बनकर जो खोने जो लगा हूँ…
मैं हूँ तो तेरा, तू है तो मेरी,
तेरा मेरी से हटकर तू आकाश की गंगा मैं खला हो गया हूँ…।।