पत्नी की खोज
👰🏻♀पत्नी की खोज👰🏾♀
धूप में गली के बगीचों में
ढूँढा तितली को
जो मेरे पराग से संतुष्ट हो।
इंद्रधनुष की छटा सी
कोंपल गुलाब का।
छुई मुई अंग रग-रग में
प्रेम जलधि सैलाब का।
ढूँढता हूँ रूपसी
पलास का महावर सजी।
देह प्रकृति सा मनोरम
विज्ञ बुद्धि से मंजी।
ध्येय नगर तालाब नहीं
खिलती होगी कहाँ कली।
सौंधी केश खुशबू
देह कन्हार सा मटमैली।
ढूँढता हूँ तितली को
जो मेरे पराग से संतुष्ट हो।
🔥सुरेश अजगल्ले “इन्द्र”🍁
खरौद