पत्नी का आभार
राजा की तरह रक्खा
घर बाहर देश परदेश
सिर ऊँचा छाती चौड़ी
बनते रहे आम से खास
परिवार बच्चे रिश्ते नाते
सब पत्नी की रही देन
सुविधा-असुविधा का रक्खा ध्यान
क्रोध भी सम्भाला बखूबी
दुख मे दुखी सुख मे सुखी
चाय लाओ पानी लाओ
चश्मा मोबाइल रूमाल लाओ
समस्या समाधान सलाहाकार
उसके ही आश्रित हो जीवन बीता
वो नही तो कौन पूंछेगा
ऐसा कभी नही सोंचा
मन वचन कर्म दवा दुआ
कुछ काम न आया
बिना मिले अचानक
एक दिन वो चली गयीं
रूबरू न सही अंतर्मन के बोल –
जा रही हूं
साथ जीने मरने का वचन था
जाना पड़ेगा इस तरह सोंचा न था
आप अकेले पड़ जाओगे
बहुत दर्द होगा मुझे
बच्चों बहू नाती पोतों को सम्भालना
अपने साथ मेरा भी प्यार देना
मन मजबूत रखना
किसी के सामने आंसू न बहाना
रोना आये तो अकेले मे रो लेना
खुद को ठीक रहना सब को शांत रखना
मेरे बिना जीने की आदत डालना
गुमसुम न रहना गुस्सा न करना
विनम्र बने रहना
अकेला छोड़ना नही चाहती
मजबूर हूं काल के हाथों
बस इतना दिनो का साथ था
अपना पूरा ध्यान रखना
जा रही हूं कभी नही मिलूंगी
अलविदा जीवन साथी
स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित
अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर