पत्नीव्रत
व्रत पूजा आरती हवन-आग
अपना श्रृंगार अपना सुहाग,
अपना पति अपनी सजावट
अडिग रहे अचल अमर रहे।
नई साडी नया सूट नये गहने
खुशबू नई व्यंजन नये झाले,
निभाए मैने भी सातो वचन
हर साल कुछ नया न कसर रहे।
घर बच्चे औ परवरिश तुम्हारी
मेरा क्या ? ये तो बताओ जरा,
प्यार दुलार देख रेख जिम्मेदारी
सब तुम्हारा हम दर बेदर रहे।
संवरना सजना तुम जैसा न था
पत्नीव्रत तन्मयता औ निष्ठा,
न थी कम न चाहा कम करना
प्रेम धार मे डूबे यूं ही बसर रहे।
सात फेरे सात जनम साथ रहेंगे
वादा किया दोनो ने बार-बार,
अब मै यहां तुम न जाने कहां ?
जाऊं किधर कौन सी डगर रहे?
खत लिखे खबर की जवाब नहीं
गये लौटे नहीं कर दी देर बहुत,
हद पार कर दी इंतजार की भी
डूबे उतरे घुटे, जिंदा मगर रहे।
आओ फिर एक बार ले लें फेरे
कर ले पूरा कम से कम ये जनम,
गिला, शिकवा न भरम रहे कोई
इनायत इजाजत तेरी अगर रहे।
स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित
अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर 9044134297
प्रतियोगिता प्रतिभागी