पत्नियों की फरमाइशें (हास्य व्यंग)
सुबह सुबह उठकर मुझे जगाया करो।
जग जाऊं तो चाय मुझे पिलाया करो।।
आ रही नही बाई कोरोना में आज कल।
चाय पिलाने के बाद झाडू लगाया करो।।
लगा देती हूं वाशिंग मशीन कपड़ो के लिए
निकाल कर कपड़े टाइम से फैलाया करो।।
हो जाती हूं काफी बोर मै आज कल काम से।
हफ्ते में एक बार पिक्चर मुझे दिखाया करो।।
आती है जब मेरी सखि सहेली मिलने के लिए।
उनके लिए नाश्ता आदि तुम ही बनाया करो।।
थक जाती हूं मै भी घर के काम धंधों में।
रात को मेरे तुम पांव ठीक से दबाया करो।।
करवा रही है ये सब कुछ आधुनिक पत्नियों।
रस्तोगी से जीवन की सच्चाई लिखाया करो।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम