पत्थर
पत्थर के उपयोग भी बड़े अजीब होते हैं ,
कभी बच्चों के झगड़ों में सिरफुटौवल बनते हैं ,
कभी पुलिस के दमन से आक्रोशित जन समूह प्रतिकार का अस्त्र बनते हैं ,
कभी शासन द्वारा उपेक्षित सड़कों पर लुढ़कते आवारा रोड़े बनते हैं ,
कभी पहाड़ों के टूटने और खिसकने से आपदा का कारण बनते हैं ,
कभी आतंकवादियों के हाथों कठपुतली बने सरफिरे युवाओं के कुत्सित मंतव्यों का साधन बन जाते हैं ,
कभी शिल्पकार की अप्रतिम अभिव्यक्ति बन यादगार बन जाते हैं ,
कभी आस्था के स्वरुप बने मंदिरों में पूजे जाते हैं ,
कभी विभिन्न प्रायोजित रूप लिए जीवन यापन का साधन बन जाते हैं ,
कभी साधनों के विकास एवं निर्माण कार्यों में अपनी प्रमुख भूमिका निभाते है ,
कभी प्राचीन एवं अर्वाचीन सभ्यता एवं संस्कृति की पहचान बनते हैं ,
कभी अपने ऊपर उकेरी गई चित्रकला एवं भाषा से इतिहास लिख जाते हैं ,
कभी मील का पत्थर बने भटकों को राह दिखाते हैं ,
कभी अपने अंतः समाहित खनिज संपदा का स्रोत बनते हैं ,
कभी अपनी कठोरता से अप्रत्याशित मृत्यु का कारण बन जाते है ,
पत्थर का गुण एवं उसका अस्तित्व उसके प्रयोजनप्रज्ञ प्रयोग पर निर्भर है ,
उसका कल्याणकारी या विनाशकारी रूप मनुष्य की मनोवृत्ति पर निर्भर है ।