Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Aug 2021 · 1 min read

पत्थर

राह पाषाण अब तक धरा रह गया
मन्दिरों में वही बन दुआ रह गया
मार ठोकर बढ़ा जा रहा आदमी
रोज देवालयों जा झुका रह गया
मान भगवां जिसे पूजता आदमी
नेमतें जो मिली तो नफा रह गया

Language: Hindi
77 Likes · 321 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR.MDHU TRIVEDI
View all
You may also like:
चाहतों की सेज न थी, किंतु ख्वाबों  का गगन था.....
चाहतों की सेज न थी, किंतु ख्वाबों का गगन था.....
दीपक झा रुद्रा
मायड़ भौम रो सुख
मायड़ भौम रो सुख
लक्की सिंह चौहान
अन्तर मन में उबल रही  है, हर गली गली की ज्वाला ,
अन्तर मन में उबल रही है, हर गली गली की ज्वाला ,
Neelofar Khan
बोलने को मिली ज़ुबां ही नहीं
बोलने को मिली ज़ुबां ही नहीं
Shweta Soni
वेतन की चाहत लिए एक श्रमिक।
वेतन की चाहत लिए एक श्रमिक।
Rj Anand Prajapati
"प्रश्न-शेष"
Dr. Kishan tandon kranti
जिंदगी गवाह हैं।
जिंदगी गवाह हैं।
Dr.sima
खुद स्वर्ण बन
खुद स्वर्ण बन
Surinder blackpen
गंगा- सेवा के दस दिन..पांचवां दिन- (गुरुवार)
गंगा- सेवा के दस दिन..पांचवां दिन- (गुरुवार)
Kaushal Kishor Bhatt
**कुछ तो कहो**
**कुछ तो कहो**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
" हर वर्ग की चुनावी चर्चा “
Dr Meenu Poonia
बाबासाहेब 'अंबेडकर '
बाबासाहेब 'अंबेडकर '
Buddha Prakash
3795.💐 *पूर्णिका* 💐
3795.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
क्या ये किसी कलंक से कम है
क्या ये किसी कलंक से कम है
Dr.Pratibha Prakash
गाँधी हमेशा जिंदा है
गाँधी हमेशा जिंदा है
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
प्यारे बच्चे
प्यारे बच्चे
Pratibha Pandey
रिश्तों की बंदिशों में।
रिश्तों की बंदिशों में।
Taj Mohammad
एक ही आसरौ मां
एक ही आसरौ मां
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
तुझे खो कर तुझे खोजते रहना
तुझे खो कर तुझे खोजते रहना
अर्चना मुकेश मेहता
फांसी का फंदा भी कम ना था,
फांसी का फंदा भी कम ना था,
Rahul Singh
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
I want to have a sixth autumn
I want to have a sixth autumn
Bindesh kumar jha
प्रिये
प्रिये
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
अगर कभी किस्मत से किसी रास्ते पर टकराएंगे
अगर कभी किस्मत से किसी रास्ते पर टकराएंगे
शेखर सिंह
अमर काव्य
अमर काव्य
Pt. Brajesh Kumar Nayak
कंधे पे अपने मेरा सर रहने दीजिए
कंधे पे अपने मेरा सर रहने दीजिए
rkchaudhary2012
*सत्पथ पर यदि चलना है तो, अपमानों को सहना सीखो ( राधेश्यामी
*सत्पथ पर यदि चलना है तो, अपमानों को सहना सीखो ( राधेश्यामी
Ravi Prakash
कैसे तुमने यह सोच लिया
कैसे तुमने यह सोच लिया
gurudeenverma198
थोड़ी कोशिश,थोड़ी जरूरत
थोड़ी कोशिश,थोड़ी जरूरत
Vaishaligoel
बहुत सोर करती है ,तुम्हारी बेजुबा यादें।
बहुत सोर करती है ,तुम्हारी बेजुबा यादें।
पूर्वार्थ
Loading...