पत्थर है दिल मेरा मोहब्बत का मोहताज नही
आखों से निकले आँसू कई बरस हो गए मेरे ,
ताना बाना से गुथा मेरा पत्थर दिल मोहब्बत का मोहताज नही ,
मुस्कुरा लेता हूँ दुनिया के रंग बिरंगे फूलों में ,
अरे ! कई बरस हो गए .
खट्टी मीठी डकार वाली बातें मेरी ,
न समझ आये तो मैं क्या करूँ ,
रंग बिरंगे बहुरूपिये का जमाना है तो मैं क्या करूँ ,
मुस्कुरा लेता हूँ तो मैं क्या करूँ . अरे ! मैं क्या करूँ ….
खैर बाते मेरी सीधी चुभती होगी दिल मे शायद ,
भीगे भीगे नयन थे कभी मेरे ,
अब कई बरस हो गए ,
चलता हूँ , फिरता हूँ , मुस्कुराता हूँ , यही मेरा नाम है , पत्थर हैं दिल मेरा , मोहब्बत का मोहताज नही ।।