*पत्थर-बाज कहॉं से आए (गीतिका)*
पत्थर-बाज कहॉं से आए (गीतिका)
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(1)
पत्थर-बाज कहॉं से आए ,पता लगाना ही होगा
जिनका यह षड्यंत्र रचा वह, दुर्ग ढहाना ही होगा
(2)
खिलते फूलों को मुरझाना जिनकी गंदी नीयत है
उनके मंसूबों की असली ,तह में जाना ही होगा
(3)
ऑंधी को गढ़कर सड़कों पर,किसने किया रवाना है
मिली हुई है जिनकी शह अब ,उन्हें हराना ही होगा
(4)
हर विरोध की हद होती है ,सूरज हो या हो सागर
बादल यदि उच्छ्रंखल हैं तो ,उन्हें सुखाना ही होगा
(5)
यह तो घर के लोग नहीं जो,अपने मुॅंह को ढके हुए
पत्थर-भाड़ा-आका-विषधर ,चक्र मिटाना ही होगा
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451