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2 Mar 2024 · 1 min read

पत्थर दिल समझा नहीं,

पत्थर दिल समझा नहीं,
विरही मन की बात ।
दंश जुदाई का सहे, यह
दिल सारी रात ।।

सुशील सरना / 2-3-24

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