पत्थर के बुत
पत्थर की हवेली में
रहते रहते
पत्थर के बुत बन गये
इसमें रहने वाले
कुछ लोग
हालात की मार
आंसुओं को भी
सुखा देती है
कई बार
जख्मों को भी
पिघलाकर
पानी सा बहा देती है
कई बार
मोती जड़ी
हीरे सी चमकती आंखों को भी
धधकते कोयले की राख
बना देती है
कई मार।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001