*पत्थर की ख़ूबी*
कहते हैं कुछ लोग हम पत्थर दिल हैं ।
और पत्थर कभी भी पिघलते नहीं हैं ।।
नादान हैं हमको पत्थर कहने वाले ।
जो पत्थर की ख़ूबी जानते नहीं हैं ।।
पत्थर पर छप जाएं जो नाम एक बार ।
वो नाम फिर सदियों तक मिटते नहीं हैं ।।
माना हम पत्थर हैं तो पत्थर ही सही ।
पर रोज-रोज अपना रूप बदलते नहीं हैं ।।
जो जान जाते है पत्थर की अहमियत ।
वो पत्थर की ख़ूबी को दोष मानते नहीं हैं ।।