पत्थर (कविता)
वो बड़ा पत्थर भारी पत्थर
जिसे बड़ी मुश्किल से उठाकर
रखा जाता है घास पर
तो घास उजड़ जाती है
घास की जड़े मर जाती हैं,
रखा जाता है मिट्टी पर
मिट्टी उड़ जाती है
बची-खुची मिट्टी
काँप जाती है
और चिपक जाती है पत्थर पर.
वो बड़ा पत्थर भारी पत्थर
जिसे बड़ी मुश्किल से उठाकर
रखा जाता है दीवार के ऊपर
तो दीवार थरथराती है,
मानो कहती है –
हटाओ ये पत्थर
वरना दीवार ढह जाएगी.
वो बड़ा पत्थर भारी पत्थर
जिसे बड़ी मुश्किल से उठाकर
डाला जाता है पानी पर
पानी का अस्तित्व हिल जाता है
पानी कायरों की भांति घबराकर
छोड़ देता अपना ही मुल्क
और फिर उस मुल्क पर
वो बड़ा पत्थर भारी पत्थर
करता अनंत अतिक्रमण.
वो बड़ा पत्थर भारी पत्थर
हाँ हाँ वही पत्थर
बड़ी मुश्किल से उठाकर
रखा है मैंने अपने दिल पर.