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30 Aug 2021 · 1 min read

पत्ते की नोंक पर बूँद

पत्ते की नोंक पर
दाँव पर है अस्तित्व बूँद का
यहीं हाल हैं फैली हुई
ह्रदय की कमसिन इच्छाओं का

ऐसे ही हासिये पर
जिंदगी फिसलती जा रही है
एक छोर पर चल रहा इंसान
दूसरे को खींच रहा है भगवान

अस्तित्व हीन जीवन का
आयत व्यास माप हीन हो रहा
वृत के ऊँपर से ट्रेन
के डिब्बे सा ढुड़कता जा रहा है

गिर बूँद पत्ते की नोंक पर
तय कर लेती है अस्थिरता को
स्वीकार कर लेती है
अस्थिर जीवन की क्षणभंगुरता को

Language: Hindi
79 Likes · 2 Comments · 326 Views
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