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31 Mar 2018 · 1 min read

“पत्ता”(इंसानी फितरत)

देखा है बहारों को उजड़ते हुए हमने
गिरते हुए पत्तों को,
उडते हुए पत्तों को
उन सूखे हुए पत्तों को
जिन्हें पेड़ छोड़ देते हैं,
अपने से हमेशा के लिए
जुदा कर देते है।
एक बोझ सा रहता है उनके सीने पर
केरके जुदा उन्हें कियू सुकून मिल जाता है,
आते ही नए पत्तों के,पुराने दूर कर देते है।
फिर जिंदगी में न पास भटकने देते हैं,
आख़िर बेचारा पत्ता जाए तो कहाँ जाए
कियू न मिट्टी में मिलकर मिट्टी ही बन जाए।।

Language: Hindi
2 Likes · 3 Comments · 505 Views
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