पति बेचारे
अपने मायके आ गयी हूँ,
अभी कुछ माह यहीं रहूँगी !
मिलना-जुलना बंद,
अंटशंट पर चाक-चौबंद !
यही तो है अभिशप्त प्रेम,
केम छो, छो केम !
मशविरे भी फोन पर,
देह गयी लोन पर !
तरसते रहो प्यारे,
पति बेचारे !
अपने मायके आ गयी हूँ,
अभी कुछ माह यहीं रहूँगी !
मिलना-जुलना बंद,
अंटशंट पर चाक-चौबंद !
यही तो है अभिशप्त प्रेम,
केम छो, छो केम !
मशविरे भी फोन पर,
देह गयी लोन पर !
तरसते रहो प्यारे,
पति बेचारे !