पति पत्नी की नोक झोंक
पति पत्नी की नोक झोंक में,
गर जो तीसरा आ जाये।
गेहूं साथ तो घुन भी पिसता,
भाग कंहा वो कैसे पाये।
अक्सर मेरे साथ हुआ ये,
हम दोनों की तकरार में।
कोई पडोसी द्वार खडा हो,
किसी काम के इंतज़ार में।
देख उसे जो हमने पकड़ा,
अपनी बातों में हैं जकड़ा।
बना उसे जज जिरह हैं करते,
फिर तो बढ़ता जाता झगड़ा।
कभी वो मेरी बात हैं सुनता,
कभी वो बीवी से हो सहमत।
मन में सोंचे साथ दूँ किसका,
ज्यादा होगी किसकी कीमत।
जो मुझको नाराज वो कर दे,
जाम पियेगा किसके साथ।
पैसे की जो होगी दिक्कत,
फिर थमेगा किसका हाँथ।
जो पत्नी की बात न मानी,
चायपानी फिर कोई न पूछे।
उसकी बीवी तक पहुंचेगी बात,
ये सोंच उसे अब कुछ न सूझे।
दुविधा में वो पड़ा बेचारा,
उसको फिर कुछ समझ न आता।
भूल गया फिर क्यों आया था,
मन में अपने अब पछताता।
हाँथ जोड़ फिर खडा हुआ वो,
बोला मै फिर से आऊंगा।
कुछ तो भूल गया आवश्यक,
पहले उसको निपटाऊंगा।
कितने दिन अब बीत गए,
वो नहीं दुबारा फिर आया।
अपने पड़ोसियों से बचने का,
हमने तरीका ये पाया।