पति पत्नी का वेलेनटाइन डे
इज़हार ऐ मूहोबत भी नहीं,
इक़रार ऐ जज़्बात भी नहीं।
मगर फिर भी कुछ दोनों में अनकही सी है बातें ।
खामोश तुम हो ,
खामोश वो भी ,
मगर धड़कते दिल की तो होती हैं मुलाकातें ।
कोई तोहफे का आदान -प्रदान नहीं,
किसी महंगे होटल में न ही कोई दावतें ।
बस एक फूल देकर कहना ‘ आज कुछ अच्छा सा बना लो ‘
इस तरह दिखावे से दूर ,
बनावट से दूर,
वास्तविकता के धरातल पर चलती धीमी सी खामोश चाहतें ।
परिवार और बच्चों की जिम्मेदारियों में व्यस्त ,
गृहस्थी के बोझ से त्रस्त ,
चुपके से दांपत्य धर्म का निर्वाह करती ,
अपनी सम्पूर्ण परिपक्वता के साथ ,
जीवन संघर्षों में एक सी धारा में बहती ये पाक मुहोबत।