पतझड़ से बहार
तेरे प्यार की कस्ती में सवार हो चली हूँ में
पतझड़ सी थी में अब बहार हो चली हूँ में
एक नजर जो डाली मुझपर
छाई अजब सी लाली मुझपर
बेरंग सी थी मैं अब रंगदार हो चली हूँ मे।
पतझड़ सी__________।
पावन हुई मै छु कर तुझको
तेरी खुशबू गई है छु कर मुझको
नीरस सी थी मै अब रसदार हो चली हूँ म।
पतधड़ सी___________।
कनखी से वो देखे मुझको
लाज न आए देखो उसको
नजर मिलते ही शर्मशार हो चली हूँ मै।
पतझड़ सी____________।