पतझड़ बने बसंत
रहे कृपा प्रभु की अगर,पतझड़ बने बसंत ।
पल में ही धनहीन भी,..हो जाता श्रीमंत ।।
बेबस हैं वे शक्तियाँ ,जिन्हे बहुत था नाज ।
लाठी मे भगवान की, कब आई आवाज ।।
रमेश शर्मा.
रहे कृपा प्रभु की अगर,पतझड़ बने बसंत ।
पल में ही धनहीन भी,..हो जाता श्रीमंत ।।
बेबस हैं वे शक्तियाँ ,जिन्हे बहुत था नाज ।
लाठी मे भगवान की, कब आई आवाज ।।
रमेश शर्मा.