पतझड़ की पीली पाती
पतझड़ की पीली पाती
अपने रोदन गीत गाती
आस कितनी नयनों को
जीवन संसार बहारों की
दुख के बादल,
और मधुप फुहारों की
नयन अश्रु गिरने पर
वापस कहां जाते
मरू की शिथिल भूमि में
मोती से चमकते
टूटी टहनी
अब साथ कहां दे पाती
पतझड़ की पीली पाती