पढ लेती हैं मेरा चेहरा मेरी माँ
जब-जब हुआ हूँ परेशान मेैं
मेरी माँ पढ लिया करती हैं चेहरा मेरा
ना कि कभी अपनी तमन्ना
दे दिया मुझे सुकून अपना
जब भी हुआ हूँ परेशान में पढ लेती हैं चेहरा मेरा!!
कभी लगी जो भूख मुझे
दे दिया अपने मुंह से निकालकर वो निवाला
रख देती हैं अपने हिस्से का खाना निकालकर
मेरे हिस्सा का बताकर
जब भी हुआ हूँ परेशान में पढ लेती हैं चेहरा मेरा!!
क्या कुछ ना किया मेरे लिए मेरी माँ ने
ना छाेडी काेई कमी मुझे सिखाने में
ना की अपने सुख दुःख की चिंता
दे दी सारी अपनी जिंदगी हमें खिलाने में
जब भी हुआ हूँ परेशान में पढ लेती हैं चेहरा मेरा!!
जब भी राेया में बेवजह मुस्कुराई मेरी माँ
दे दी अपनी सारी मुस्कुराहट हर पल की मुझे
लेकिन मेरी माँ मुझे हँसा कर भी राेई
जब भी हुआ हूँ परेशान में पढ लेती हैं चेहरा मेरा मेरी माँ !!
लेखक =राजू खान
माै. 8930907288