पढ़ा नहीं क्या आपने, भारत का इतिहास
धर्म सनातन का करें, वे जो अब उपहास ।
पढ़ा नहीं क्या आपने, भारत का इतिहास ।
भारत का इतिहास, याद हैं बाबर खिलजी।
चली नही थी एक, धर्म पर जिनकी मर्जी ।
कह रमेश कविराय, सखे सेवक अधुनातन।
कर लो लाख उपाय, मिटे नहि धर्म सनातन ।।
रमेश शर्मा.