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29 Jan 2018 · 1 min read

पढ़ने को अब समय कहाँ

पल प्रतिपल मै व्यस्त रहूँ,
देखन मे बस मस्त रहूँ ।
घुटता जीवन आज यहाँ,
पढ़ने को अब समय कहाँ ॥

सुबह उठा तो था दस बजा,
भाग दौड़कर नित्य कर्मकर,
ले शीशा मैं बस खूब सजा ।
खड़ी दुपहरी मिल चाय यहाँ,
पढ़ने को अब समय कहाँ ।।

पल प्रतिपल मै………

कमरे के जो आस पास,
मिले न उनसे राग रास ।
पर कर गप्पे मनभायी,
ले भोजन कर अंगड़ाई ।
हुआ समय दो पार यहाँ,
पढ़ने को अब समय कहाँ ॥

पल प्रतिपल मैं…..

दे तन को आराम अभी,
उठना अब बज चार जभी ।
उठते मोबाइल से जो,
भिड़ जाना है नाज यहाँ,
पढ़ने को अब समय कहाँ ॥

पल प्रतिपल मैं…..

कुछ यार दोस्त से कर यारी,
बज मोबाइल बारी बारी,
नेट सर्फिंग भी है अब जारी ।
कुछ चैटिंग से जुड़ तार यहाँ,
पढ़ने को अब समय कहाँ ॥

पल प्रतिपल मैं……

हुई शाम ज्यों निकल सैर को,
कर गप्पे चुस्की चायों से,
होते वापस आठ बजे को ।
भय तैयारी अब डिनर यहाँ,
पढ़ने को अब समय कहाँ ॥

पल प्रतिपल मैं…..

खाते खाते दस बज आया,
प्यार मुहब्बत के चक्कर में,
पूरी रात गुजर है जाया ।
नींदों को ना रात यहाँ ,
पढ़ने को अब समय कहाँ ॥

पल प्रतिपल मैं व्यस्त रहूँ,
देखन में बस मस्त रहूँ ।
घुटता जीवन आज यहाँ,
पढ़ने को अब समय कहाँ ॥

©रघु आर्यन©

Language: Hindi
Tag: गीत
250 Views
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