835 पढ़ने और सीखने का फ़र्क
फ़र्क है, सीखने में ,और पढ़ने में।
पढ़ कर हम भूल जाते हैं, सीख कर नहीं।
पढ़कर मिलेगी नौकरी पर,
बन पाएगा वह अच्छा इंसान नहीं।
पढ़ाया तो जाता है सब,
पर सिखाया जाता कुछ नहीं।
याद कर रहे हैं गांधी के स्वच्छता के नियम।
पर बैठे हैं जी टाट पर ,वह साफ नहीं।
परिभाषा जब बनाई किसी ने एक चीज़ की।
और दूसरा उस पर सही उतर पाया नहीं।
गलत है वह क्यों….वह है अलग परिस्थिति से।
हो सकता है, वह अलग परिस्थिति में हो सही।
क्यों अलग मानते हैं हम एक दूसरे को।
क्यों मानते हम एक दूसरे को अपना पूरक नहीं।
पास आओ सबको ,लाओ सबको रूबरू।
जो सब जान पाएं,वो एक हैं,अलग नहीं।
आओ बढ़ाएं सीखने और सहयोग की भाषा।
बनाएं शिक्षा को प्रतियोगिता का स्थान नहीं।
ज्ञान पाएं, ज्ञान बांटें, देश को आगे बढ़ाएं।
ज्ञान पर जो ध्यान देंगे, होगा देश का सम्मान तभी।
आओ कुछ सोचें, जो बदले गलत सोच को।
निकलें अतीत से, अतीत में रहे नहीं।
आज का सोचें ,छोड़े धर्म, जात और पात को।
शिक्षा दे ऐसी जो बनाए इंसान को इंसान, मशीन नहीं।
4.25pm 22Feb 2019 Friday