पडौसी का हित चाहने पर
एक किसान बहुत ही उम्दा किस्म का मक्का उगाता था। हर वर्ष उसकी उगाई हुई मक्का राष्ट्रीय फसल मेला में पुरस्कृत होती थी।
एक बार राष्ट्रीय समाचार पत्र का एक पत्रकार उसका साक्षात्कार लेने,और यह जानने की उत्सुकता के साथ कि वह हर वर्ष ऐसा कैसे कर पता है,उस मेले में आया। किसान के क्षेत्र के दूसरे किसानों से उसके बारे में पूछने पर पता चला कि, यह किसान हर वर्ष अपने पडौसियों को भी अच्छी किस्म की मक्का का बीज निःशुल्क बांटता है।
रिपोर्टर किसान के पास गया और उससे पूछा, “आप अपने सभी पड़ौसियों को अच्छी किस्म का बीज निःशुल्क क्यों बांटते हैं? इससे तो आपका कितना खर्च हो जाता होगा?”
किसान ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया,”क्या आप नहीं जानते ? हवाएँ पके हुए मक्का के पराग कणो को उड़ा कर आसपास के खेतों में फैला देती हैं।यदि मेरे पड़ौसी बेकार किस्म का मक्का बोयेंगे तो हर साल उनकी फसल से आये पराग कण मेरे खेतों में भी बिखरेंगे और क्रॉस पोलिनेशन के कारण साल दर साल मेरी फसल की गुणवत्ता गिरती चली जाएगी। इसलिए यदि मैं अच्छी मक्का उगाना चाहता हूँ तो मुझे मेरे पड़ौसियों को भी अच्छी मक्का उगने में मदद करनी ही होगी।”
वास्तव में हमारे जीवन की सच्चाई भी कुछ इसी प्रकार की है। यदि हम अच्छा और खुशहाल जीवन जीना चाहते हैं, तो हमें हमसे जुड़े सभी लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करना चाहिए और उनकी सहायता करनी चाहिए।
हमारे जीवन में ख़ुशी और शांति का स्थायी वास तभी हो सकता है जब हमसे जुड़े हुए लोग भी खुशहाल हों।