पञ्चचामर छन्द
[07/09/2020] पञ्चचामर छंद,
प्रथम प्रयास
121 212 12, 121 212 12
नहीं कही करार है, मिले नही बहार है ।
सदैव खोजते रहे, न सावनी फ़ुहार है ।।
अजीब प्यार था मुझे, कि उसे खोजता रहा ।
न प्यार का समां मिला, नसीब कोषता रहा ।।
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पढ़ा लिखा सुता सभी, न लोभ दाम का करो ।
निशंक हो सुता सभी, व काम पुण्य का करो ।।
कि आस आपसे उसे, व ज़िंदगी सुधार दो ।
उठा सके न आंख को, वही उसे दुलार दो ।।
अभिनव मिश्रा
( शाहजहांपुर )