Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Feb 2021 · 1 min read

पचपन में बचपन

पचपन में भी बचपन
अब सूझ रहा इनको
देखो क्या कर रहे है
ये क्या हो रहा इनको ।।

चचा आज भी मस्ती में है
ना जाने किस कस्ती में है
वो घूम रहे है बेफिक्र बहारों में
उधर आग लगी हुई बस्ती में है।।

दांत अब मुंह में कम हो गए
खुद को अभी भी जवां समझते है
अभी भी गन्ना छीलने का शौक है इनको
पचपन में भी बचपन सूझ रहा जिनको।।

अब आंखों की रोशनी भी कम हो चली है
बस्ती में जो वो कालेज वाली गली है
छोड़ दो वहां जाना कोई, समझाओ इनको
पचपन में भी बचपन सूझ रहा जिनको।।

चेहरे पर झुरियां जो अब दे रही दस्तक
कोशिश करेंगे इनको छुपाने की कब तक
उम्र पर किसका बस है समझाओ इनको
पचपन में भी बचपन सूझ रहा जिनको।।

सुंदरता को देखकर दिल मचलता है
हसीनों को देख, चचा को कुछ कुछ होता है
अब तो उम्र का तकाज़ा समझाओ इनको
पचपन में बचपन सूझ रहा जिनको ।।

इस उम्र में लोग कृष्ण की पूजा करते है
देखो चचा तो खुद ही कृष्ण बने बैठे है
छोड़ दो अब रास लीलाएं, समझाओ इनको
पचपन में भी बचपन सूझ रहा जिनको।।

बाल भी अब उनके थोड़े पक गए है
जीवन की उथल पुथल में वो थक गए है
छोड़ दो बच्चों से मुकाबला, समझाओ इनको
पचपन में भी बचपन सूझ रहा जिनको।।

Language: Hindi
7 Likes · 1 Comment · 563 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
View all
You may also like:
" गुब्बारा "
Dr. Kishan tandon kranti
बुंदेली दोहे- गुचू-सी (छोटी सी)
बुंदेली दोहे- गुचू-सी (छोटी सी)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जगदाधार सत्य
जगदाधार सत्य
महेश चन्द्र त्रिपाठी
ज़िद से भरी हर मुसीबत का सामना किया है,
ज़िद से भरी हर मुसीबत का सामना किया है,
Kanchan Alok Malu
दीवाली की रात आयी
दीवाली की रात आयी
Sarfaraz Ahmed Aasee
यूं ही कुछ लिख दिया था।
यूं ही कुछ लिख दिया था।
Taj Mohammad
बांदरो
बांदरो
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
You relax on a plane, even though you don't know the pilot.
You relax on a plane, even though you don't know the pilot.
पूर्वार्थ
*खुद ही लकीरें खींच कर, खुद ही मिटाना चाहिए (हिंदी गजल/ गीति
*खुद ही लकीरें खींच कर, खुद ही मिटाना चाहिए (हिंदी गजल/ गीति
Ravi Prakash
दुनियां में सब नौकर हैं,
दुनियां में सब नौकर हैं,
Anamika Tiwari 'annpurna '
विश्व हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
विश्व हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
Lokesh Sharma
कैसा अजीब है
कैसा अजीब है
हिमांशु Kulshrestha
दुश्मनों  को  मैं हुकार  भरता हूँ।
दुश्मनों को मैं हुकार भरता हूँ।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
क्षणिका
क्षणिका
sushil sarna
जिंदगी
जिंदगी
लक्ष्मी सिंह
"घर घर की कहानी"
Yogendra Chaturwedi
क्या ख़ूब तरसे हैं हम उस शख्स के लिए,
क्या ख़ूब तरसे हैं हम उस शख्स के लिए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
शब्द ही...
शब्द ही...
ओंकार मिश्र
मनुष्य अंत काल में जिस जिस भी भाव को स्मरण करता हुआ शरीर त्य
मनुष्य अंत काल में जिस जिस भी भाव को स्मरण करता हुआ शरीर त्य
Shashi kala vyas
** लोभी क्रोधी ढोंगी मानव खोखा है**
** लोभी क्रोधी ढोंगी मानव खोखा है**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
🙅आज का ज्ञान🙅
🙅आज का ज्ञान🙅
*प्रणय*
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Shweta Soni
जब मेरा अपना भी अपना नहीं हुआ, तो हम गैरों की शिकायत क्या कर
जब मेरा अपना भी अपना नहीं हुआ, तो हम गैरों की शिकायत क्या कर
Dr. Man Mohan Krishna
23)”बसंत पंचमी दिवस”
23)”बसंत पंचमी दिवस”
Sapna Arora
रोक दो ये पल
रोक दो ये पल
Dr. Rajeev Jain
खतावर हूँ तो मेरी खता ही बता दे
खतावर हूँ तो मेरी खता ही बता दे
VINOD CHAUHAN
सच दिखाने से ना जाने क्यों कतराते हैं लोग,
सच दिखाने से ना जाने क्यों कतराते हैं लोग,
Anand Kumar
खिला है
खिला है
surenderpal vaidya
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
रात
रात
SHAMA PARVEEN
Loading...