पधारे दिव्य रघुनंदन, चले आओ चले आओ।
पधारे दिव्य रघुनंदन, चले आओ चले आओ।
लिए हम पुष्प औ’ चंदन, चले आओ चले आओ।
समापन के निकट अब नन्दिजी की भी प्रतीक्षा है,
कन्हैया, क्या तुम्हें बंधन? चले आओ चले आओ।
-ऋतुपर्ण
पधारे दिव्य रघुनंदन, चले आओ चले आओ।
लिए हम पुष्प औ’ चंदन, चले आओ चले आओ।
समापन के निकट अब नन्दिजी की भी प्रतीक्षा है,
कन्हैया, क्या तुम्हें बंधन? चले आओ चले आओ।
-ऋतुपर्ण