पग पग पे देने पड़ते
दुनिया में अकेला ही
आया हर एक इंसान
पग पग पे देने पड़ते
उसे बहुत से इम्तिहान
अपने पराए के फेर में
वह उलझा रहे दिन रात
तमाम मौकों पर खंडित
होते उसके अपने जज्बात
कोई भी देता नहीं समय से
चूके हुए व्यक्ति का साथ
अपने पराए सभी उकेर देते
जब तब विफलता की बात
समय से हारे व्यक्ति को दे
सकता सिर्फ ईश्वर संतोष
बेहतर यही है कि वो खोजे
परमात्मा शरण में परितोष