Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jul 2017 · 1 min read

*** पगडण्डियां ललचाती ***

चलो अब जीवन-पथ पर पगडण्डियां ललचाती है

सपाट सड़क आम रास्ता सुगम कह पाती

नज़ाकत या नफ़ासत से जीवन-पथ पर चलना

निगाहें कब तलक आम से ख़ास हो पाती

?मधुप बैरागी
उम्र आने पर शज़र भी ढह जाता
पता नहीं आदमी मन की कह पाता
जमाना है जमाने- सा पड़ेगा निभाना
जिंदगी है मौत से अब रिश्ता निभाना ।।

?मधुप बैरागी

नजीरें देतें हैं जो हमको ईमानदारी की

जीवन में उनके क्यों है परत बेईमानी की

ख़ुद तो आम खाते हैं हमें परहेज सिखलाते

आज खुद ब खुद सीखी हमने खुदगरज की ।।

?मधुप बैरागी

Language: Hindi
1 Like · 167 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from भूरचन्द जयपाल
View all
You may also like:
" शिक्षक "
Pushpraj Anant
बात उनकी क्या कहूँ...
बात उनकी क्या कहूँ...
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
🙅परिभाषा🙅
🙅परिभाषा🙅
*Author प्रणय प्रभात*
जो पड़ते हैं प्रेम में...
जो पड़ते हैं प्रेम में...
लक्ष्मी सिंह
पत्थर
पत्थर
Shyam Sundar Subramanian
इक नयी दुनिया दारी तय कर दे
इक नयी दुनिया दारी तय कर दे
सिद्धार्थ गोरखपुरी
बने महब्बत में आह आँसू
बने महब्बत में आह आँसू
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
ग़ज़ल/नज़्म - मेरे महबूब के दीदार में बहार बहुत हैं
ग़ज़ल/नज़्म - मेरे महबूब के दीदार में बहार बहुत हैं
अनिल कुमार
"हैसियत"
Dr. Kishan tandon kranti
अच्छे दामों बिक रहे,
अच्छे दामों बिक रहे,
sushil sarna
*पैसे-वालों में दिखा, महा घमंडी रोग (कुंडलिया)*
*पैसे-वालों में दिखा, महा घमंडी रोग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
हम जंग में कुछ ऐसा उतरे
हम जंग में कुछ ऐसा उतरे
Ankita Patel
2960.*पूर्णिका*
2960.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सत्य यह भी
सत्य यह भी
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
भारत के राम
भारत के राम
करन ''केसरा''
शिव स्तुति
शिव स्तुति
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
२९०८/२०२३
२९०८/२०२३
कार्तिक नितिन शर्मा
तमन्ना है तू।
तमन्ना है तू।
Taj Mohammad
मैं
मैं "लूनी" नही जो "रवि" का ताप न सह पाऊं
ruby kumari
बचपन मेरा..!
बचपन मेरा..!
भवेश
Sometimes
Sometimes
Vandana maurya
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Shweta Soni
उलझन से जुझनें की शक्ति रखें
उलझन से जुझनें की शक्ति रखें
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
स्मृतिशेष मुकेश मानस : टैलेंटेड मगर अंडररेटेड दलित लेखक / MUSAFIR BAITHA 
स्मृतिशेष मुकेश मानस : टैलेंटेड मगर अंडररेटेड दलित लेखक / MUSAFIR BAITHA 
Dr MusafiR BaithA
नदी
नदी
Kumar Kalhans
भुला देना.....
भुला देना.....
A🇨🇭maanush
मारे ऊँची धाक,कहे मैं पंडित ऊँँचा
मारे ऊँची धाक,कहे मैं पंडित ऊँँचा
Pt. Brajesh Kumar Nayak
ज़िंदगी...
ज़िंदगी...
Srishty Bansal
आईने में देखकर खुद पर इतराते हैं लोग...
आईने में देखकर खुद पर इतराते हैं लोग...
Nitesh Kumar Srivastava
जिंदगी की ऐसी ही बनती है, दास्तां एक यादगार
जिंदगी की ऐसी ही बनती है, दास्तां एक यादगार
gurudeenverma198
Loading...