पक्षपात्
हंँसती हुई लकीरें
लिखी हुई तकदीरें,
मचल रहा मन,
रुका हुआ तन,
पा लूँ चमन में,
अपनत्व का रंग,
होठों में सजे,
हंँसी की किरण ।
मिटी हुई लकीरें,
हस्त की तकदीरें,
लहराती हुई पवन,
उछलती हुई लहर,
ठहरा हुआ शिखर,
फैला हुआ गगन,
मुख में देखो,
अश्रु भरे नयन ।।